छत्तीसगढ़ शासन की अभिनव पहल: नक्सल पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पित नक्सलियों को मिल रहा प्रशिक्षण
कृषि एवं पशुपालन के आधुनिक तकनीक से बदलेगा जीवन
सुकमा।जिला प्रशासन सुकमा द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति व्यवस्था क़ायम रखने और पुनर्वास की दिशा में निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। कलेक्टर श्री देवेश कुमार ध्रुव के निर्देशन और जिला पंचायत सीईओ श्रीमती नम्रता जैन के मार्गदर्शन में ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान के माध्यम से आत्मसमर्पण करने वाले पूर्व माओवादियों को मुख्यधारा में लाने का सार्थक प्रयास किया जा रहा है।नक्सल पुनर्वास नीति के तहत इन युवाओं को कृषि विज्ञान केंद्र सुकमा में कृषि की आधुनिक तकनीकों तथा पशुपालन के नवीन और उत्पादक तरीकों कागहन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह प्रशिक्षण उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ सम्मानजनक जीवन जीने की दिशा में एक सशक्त कदम है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में ड्रिप इरिगेशन, वर्मी कम्पोस्ट, जैविक खेती, सब्जी उत्पादन, डेयरी पालन, मुर्गी पालन और मत्स्य पालन जैसे विषयों पर जानकारी दी जा रही है। साथ ही उद्यमिता विकास के लिए वित्तीय साक्षरता और लघु उद्यम स्थापित करने की प्रक्रिया भी सिखाई जा रही है।
कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव ने बताया कि पूर्व माओवादियों को मुख्यधारा में जोड़ना सिर्फ पुनर्वास नहीं, बल्कि एक नवजीवन की शुरुआत है। हमारा प्रयास है कि ये युवा स्वरोजगार से आत्मनिर्भर बनें और समाज के लिए प्रेरणा बनें। आरसेटी के माध्यम से उन्हें व्यावहारिक प्रशिक्षण देकर स्थायी आजीविका के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। इससे रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे और वे समाज की मुख्य धारा में शामिल होंगे।
लाइवलीहुड कॉलेज के नोडल अधिकारी सुश्री मधु तेता ने बताया कि 20 आत्मसमर्पित माओवादियों को कृषि एवं पशुपालन से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह प्रशिक्षण 03 माह तक चलेगा। इसके पश्चात सिलाई मशीन और मोटर ड्राइविंग का भी प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।