बीमा पॉलिसी रद्द होने पर कंपनी ज़िम्मेदार नहीं होगी – उच्च न्यायालय
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने 11-12 फरवरी को वाहन मालिक और आरटीओ के बीच मोटर दुर्घटना दावा अपील में एक महत्वपूर्ण फैसले में बीमा कंपनी को मुआवजा देने की ज़िम्मेदारी से मुक्त कर दिया। न्यायालय ने कहा कि जब दुर्घटना से पहले ही बीमा पॉलिसी रद्द कर दी गई थी और वाहन मालिक को इसकी सूचना दे दी गई थी, तो ‘भुगतान करो और वसूल करो’ का सिद्धांत लागू नहीं होता।
यह मामला कोरिया जिले का है, जहाँ 14 अप्रैल, 2019 को एक सड़क दुर्घटना में सुहावन सिंह की मृत्यु हो गई थी।
वाहन बिलासपुर जिले के रतनपुर निवासी इंतज़ार खान के नाम पर पंजीकृत था। उन्होंने ओरिएंटल कोरिया सड़क दुर्घटना मामले में बीमा कंपनी को राहत दी थी, इसलिए ‘भुगतान करो और वसूल करो’ का सिद्धांत लागू नहीं होता।
मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने पहले ही बीमा कंपनी को ज़िम्मेदारी से मुक्त कर दिया था। मृतक की पत्नी पतंगो बाई और अन्य रिश्तेदारों ने “भुगतान करो और वसूल करो” सिद्धांत के तहत उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी। उच्च न्यायालय ने बीमा कंपनी की दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा कि दुर्घटना के समय बीमा पॉलिसी लागू न होने पर उसे मुआवज़े के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व निर्णयों का हवाला देते हुए, न्यायालय ने अपील खारिज कर दी। बीमा कंपनी ने मृतक का बीमा किया था, लेकिन चेक बाउंस होने के कारण प्रीमियम अस्वीकार कर दिया और 7 फ़रवरी, 2019 को ट्रिब्यूनल के फ़ैसले को बरकरार रखा।
