झारखंड में कुड़मी आदिवासी समुदाय के आंदोलन से रेल सेवाएं प्रभावित
झारखंड (Jharkhand) में कुड़मी समाज (Kudmi Community) के आंदोलन के चलते रेल (Rail) सेवाएं प्रभावित हुई हैं। प्रशासन के कर्फ्यू लागू करने के बावजूद यह आंदोलन हो रहा है। कुड़मी समाज के लोग अपने समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। इन मांगों को लेकर शनिवार सुबह से कई रेलवे स्टेशनों पर ‘रेल रोको’ आंदोलन जारी है।
‘आदिवासी कुड़मी समाज’ के बैनर तले प्रदर्शनकारी रांची के राय स्टेशन, गिरिडीह के पारसनाथ और बोकारो जिले के चंद्रपुरा स्टेशन पर रेल पटरियों पर बैठे देखे गए। रेलवे के बयान के अनुसार, आदिवासी कुड़मी समाज के आंदोलन के कारण दक्षिण पूर्व रेलवे और पूर्व मध्य रेलवे के धनबाद मंडल में रेल सेवाएं आंशिक रूप से प्रभावित हुई हैं। बयान में कहा गया, ‘‘हटिया-बर्धमान मेमू और टाटानगर-गुआ-टाटानगर मेमू समेत कम से कम तीन ट्रेन रद्द कर दी गई हैं, एक की गंतव्य से पहले ही यात्रा समाप्त कर दी गई है और चार ट्रेनों को अलग-अलग स्टेशनों पर रोका गया है।’’
अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षाकर्मी प्रदर्शनकारियों को शांत कराने और रेलवे पटरी खाली कराने की कोशिश कर रहे हैं। ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन समेत कई राजनीतिक दलों ने कुड़मियों के प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया है। आंदोलन के मद्देनजर रांची प्रशासन ने जिले के विभिन्न स्टेशनों के 300 मीटर के दायरे में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है। आधिकारिक बयान के अनुसार, यह आदेश मुरी, सिल्ली, खलारी और टाटीसिलवे में शुक्रवार रात आठ बजे से 21 सितंबर सुबह आठ बजे तक प्रभावी रहेगा।
पूर्वी सिंहभूम जिले के धालभूम अनुमंडल के टाटानगर, गोविंदपुर, राखा माइंस और हल्दीपोखर स्टेशनों पर भी 100 मीटर के दायरे में इसी तरह के प्रतिबंध लागू किए गए हैं। आदेशों के अनुसार, प्रदर्शन, धरना, पुतला दहन या घेराव, लाठी-डंडे और धनुष-बाण जैसे किसी भी प्रकार के हथियार लेकर चलना, शांति भंग करने के इरादे से पांच या उससे अधिक लोगों का इकट्ठा होना, और जनसभा करना प्रतिबंधित किया गया है।
