कोरबा नगर निगम के इंजीनियर अरुण शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में विभिन्न विभागों में काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों के लिए एक खुशखबरी हैं। दरअसल बिलासपुर हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए कहा है की यदि किसी अधिकारी का रिटायरमेंट में एक साऔर कर्मचारी का बाकी है, तो तो उनका ट्रांसफर नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने ने कोरबा नगर निगम के इंजीनियर अरुण शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है।
यह मामला कोरबा नगर निगम का है। जहां के इंजीनियर अरुण शर्मा के रिटायरमेंट में पांच महीने का समय बचा है। शासन द्वारा तय पालिसी का हवाला देते हुए इंजीनियर ने याचिका दायर की थी। विभिन्न विभागों के लिए थोक में तबादला आदेश जारी किया जा रहा है। यहां ईई के पद पर पदस्थ रिटायरमेंट के एक साल पहले नहीं होगा ट्रांसफर नगरीय प्रशासन विभाग के किए गए तबादले को चुनौती देते हुए इंजीनियर शर्मा ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की याचिका में कहा है कि सरकारी कर्मचारियों के लिए बनाए गई तबादला नीति में साफ उल्लेख है कि यदि किसी अधिकारी या कर्मचारी के रिटायरमेंट में एक साल की अवधि शेष है तो उनका कहीं और ट्रांसफर नहीं किया जाएगा। याचिकाकर्ता ने बताया कि उनके रिटायरमेंट में पांच महीने का ही समय बाकी है। यह जानते हुए भी विभागीय अफसरों ने तबादला कर दिया है। ट्रांसफर आदेश पर रोक मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य शासन के द्वारा जारी ट्रांसफर आदेश पर रोक लगा दी है। जिसके बाद अब याचिकाकर्ता को रिटायरमेंट तक कोरबा नगर निगम में अपनी सेवाएं दे सकेंगे।
काम में आसानी हो इसलिए बनी पॉलिसी अधिकारी या कर्मचारी रिटायरमेंट के पहले जिस जगह पर कार्यरत हैं उनको वहीं रिटायरमेंट पूरा करने की छूट शासन ने दी है।इसके पीछे सेवानिवृति के बाद रिटायरमेंटल इयूज, पेंशन प्रकरण सहित अन्य भुगतान में किसी तरह की कोई दिक्कत का सामना ना करना पड़े। सेवावधि के अंतिम दिनों में कर्मचारी जहां से वेतन का प्राप्त करते हैं, वहां पेंशन सहित रिटायरमेंटल ड्यूज के सभी काम आसानी के साथ पूरा कर लिया जाता है। इंजीनियर अरुण शर्मा का तबादला भी बिलासपुर नगर निगम के कर दिया गया है। जिसे चुनौती देते हुए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
हाईकोर्ट की डबल बेंच ने खारिज की भर्ती रद्द करने की मांग वाली याचिका
छत्तीसगढ़ में सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा 2018 को लेकर हाईकोर्ट से बड़ी खबर मिली है। रिजल्ट के लिए आंदोलनरत अभ्यर्थियों को यह बड़ी राहत देने वाली खबर है। होईकोर्ट की डबल बेंच ने भी भर्ती रद्द करने की याचिका को खारिज कर दी है।उल्लेखनीय है कि असफल रहने वाले अभ्यर्थियों ने कोर्ट की डबल बेंच में याचिका लगाई थी। डबल बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को यथावत रखते हुए भर्ती निरस्त करने की मांग ठुकरा दी है। कोर्ट ने तजवीर सिंह सोढी बनाम स्टेट ऑफ जम्मू कश्मीर 2023 केस का हवाला देते हुए याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि, असफल होने वाले अभ्यर्थी अब नहीं कर सकते कैस करने की अपील उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने भर्ती प्रक्रिया को 45 दिनों में पूरा करने और 90 दिनों में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया था कि, प्लाटून कमांडर के पदों पर चयनित महिला उम्मीदवारों को हटाकर पुरुष उम्मीदवारों को मेरिट के आधार पर नियुक्ति दी जाए।
डिविजन बेंच ने अनियमितता के आरोपों को नकारा
असफल परीक्षार्थियों ने इस फैसले के खिलाफ डिवीजन बेंच में अपील की अपील में दावा किया गया था कि भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताएं बरती गई है. पुरुष उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा से वंचित कर दिया गया था। हालांकि डीविजन बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले में कोई अनियमितता न पाते हुए अपील खारिज कर दी, जिससे परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों के लिए नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। अभ्यर्थी वर्तमान में रायपुर में आंदोलन कर रहे हैं, क्योंकि भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद नियुक्ति आदेश जारी नहीं किए गए थे। हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद अब नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी आने की उम्मीद है।