दहेज प्रताड़ना मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला,11 लोगों के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द, पति के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी
बिलासपुर। दहेज प्रताड़ना के 12 साल पुराने एक मामले में हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 11 आरोपियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर और न्यायिक कार्यवाही को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि आरोप सामान्य, अस्पष्ट और ठोस सबूतों से रहित हैं, जिन्हें कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग माना जाएगा। हालांकि, पीड़िता के पति के खिलाफ केस जारी रखने के निर्देश दिए गए हैं।
दरअसल, महाराष्ट्र के वर्धा में रहने वाली नीलिमा कवड़े की शादी साल 2010 में आमोद आनंद सोनवने से हुई थी। शादी के कुछ महीने बाद ही घरेलू हिंसा के चलते नीलिमा अपने मायके लौट आई थीं और उन्होंने घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत कार्रवाई कर भरण-पोषण का आदेश भी हासिल कर लिया था। करीब 12 साल बाद 2019 में नीलिमा ने दुर्ग के नंदिनी नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें उसने पति समेत परिवार के 11 लोगों पर दहेज प्रताड़ना, अश्लीलता और मानसिक प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए। मामले में याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में दलील दी कि एफआईआर में लगाए गए आरोप बेहद सामान्य हैं। किसी भी आरोपी के खिलाफ कोई सीधा सबूत या घटना की तारीख और जगह का जिक्र नहीं है। आरोपी बनाए गए कई लोग न सिर्फ पीड़िता के दूर के रिश्तेदार हैं, बल्कि वे कभी उसके साथ रहे भी नहीं। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि भजनलाल केस समेत सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसलों में ऐसे झूठे मामलों को रद्द करने के स्पष्ट निर्देश हैं। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की डिवीजन बेंच ने आदेश में कहा कि 11 आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस आधार नहीं है।
दहेज प्रताड़ना मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
11 लोगों के खिलाफ दर्ज FIR किया
रद्द, पति के खिलाफ जारी रहेगी कार्रवाई
» लोकमाया न्यूज ।
बिलासपुर | हाईकोर्ट ने दहेज प्रताड़ना के
12 साल पुराने मामले में बड़ा फैसला
सुनाया है। कोर्ट ने 11 आरोपियों के
खिलाफ दर्ज एफआईआर और
न्यायालयीन कार्यवाही को रद्द कर दिया
है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि आरोप
सामान्य, अस्पष्ट और ठोस साक्ष्यों से
रहित है, जिन्हें कानूनी प्रक्रिया का
दुरुपयोग माना जाएगा। हालांकि पीड़िता
के पति के खिलाफ प्रकरण जारी रखने
का निर्देश दिया गया है।
दरअसल, महाराष्ट्र वर्धा में रहने वाले
निलीमा कवड़े की शादी वर्ष 2010 में
अमोद आनंद सोनवाने से हुई थी। शादी
के कुछ महीनों बाद घरेलू हिंसा के कारण
निलीमा अपने मायके लौट गई थी और
घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत कार्रवाई
कर भरण-पोषण का आदेश भी प्राप्त कर
चुकी थी। करीब 12 साल बाद वर्ष
2019 में निलीमा ने दुर्ग के नंदिनी नगर
थाना में एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें
अपने पति सहित 11 परिजनों पर दहेज
प्रताड़ना, अश्लीलता और मानसिक
उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए ।
मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर
से कोर्ट में दलील दी गई कि
एफआईआर में लगाए गए आरोप बेहद
सामान्य है। किसी भी आरोपी के
खिलाफ प्रत्यक्ष साक्ष्य या घटना की
तारीख और स्थान का उल्लेख नहीं है।
आरोप लगाए गए कई व्यक्ति न केवल
पीड़िता के दूर के रिश्तेदार हैं बल्कि
उन्होंने कभी उसके साथ रहन-सहन भी
नहीं किया है। कोर्ट ने सभी पक्षों को
सुनने के बाद कहा कि भजनलाल केस
समेत सुप्रीम कोर्ट के पूर्ववर्ती फैसलों में
इस प्रकार के झूठे मामलों को रद्द करने
के स्पष्ट निर्देश हैं।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा व
न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की डिवीजन
बेंच ने आदेश में कहा कि 11 आरोपियों
के खिलाफ कोई ठोस आधार नहीं है।