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घटना के बाद : कलेक्टर ने डॉक्टर्स को अंग्रेजी के Capital लेटर्स में दवाइयों के नाम लिखने का फरमान जारी

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बिलासपुर : बिलासपुर कलेक्टर ने डॉक्टर्स को अंग्रेजी के कैपिटल लेटर्स में दवाइयों के नाम लिखने का फरमान जारी किया है। सिम्स के रेडक्रॉस सोसायटी की मेडिकल स्टोर में गर्भवती को गलत दवाई देने से गर्भपात हो गया था, जिसके बाद ये आदेश जारी किया गया। उन्होंने इस आदेश पर तत्काल अमल करने के लिए कहा है।

रेडक्रास मेडिकल स्टोर के कर्मचारी ने गर्भवती को बेबी ग्रोथ के बजाए गर्भपात की दवाई दे दी थी, जिसे खाने के बाद महिला की तबीयत बिगड़ गई और उसका गर्भपात हो गया। महिला और उसके पति ने इस मामले की शिकायत कलेक्टर से की थी। इस मामले की जांच कराई गई, तब पता चला कि रेडक्रॉस के कर्मचारी ने गलत दवाई दी थी।

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रेडक्रास मेडिकल स्टोर के कर्मचारी ने गर्भवती महिला को दे दी थी गर्भपात की दवाई।

स्पष्ट अक्षरों में नहीं लिखते डॉक्टर

जांच में यह भी पता चला है कि डॉक्टर साफ सुथरी और स्पष्ट अक्षरों में दवाई का नाम नहीं लिखते, जिसके कारण कई बार मेडिकल स्टोर के कर्मचारी भी दवाइयों का नाम नहीं समझ पाते। वहीं, दवाई खरीदने वाले मरीज या उसके परिजन भी पर्ची से दवाई का मिलाने नहीं कर पाते। यही वजह है कि कलेक्टर ने मामले को गंभीरता से लिया।

प्रिस्क्रिप्श लिखने का कोई नॉर्म नहीं

वहीं इस मामले पर सिम्स के डीन डॉ केके सहारे का कहना है कि प्रिस्क्रिप्श लिखने का कोई नॉर्म नहीं है, डॉक्टर अपनी सुविधा के हिसाब से लिखते हैं l कलेक्टर के आदेश पर सभी डाक्टर्स को कैपिटल लेटर में दवा का नाम लिखने कहा गया है l
हालांकि, हमने पहले भी डॉक्टर्स को साफ सुथरी और समझ में आने वाली पर्ची लिखने के निर्देश पहले से ही दिए हैं l दरअसल, कैपिटल लेटर में लिखने में डॉक्टर्स को परेशानी हो सकती है l फिर भी इसे आदत में लाने के लिए कहा गया है l

IMA ने कहा- पहले से ही इसे लेकर गाइडलाइन

IMA रायपुर के अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता ने कहा कि नेशनल मेडिकल कमीशन ने पहले ही यह गाइडलाइन जारी की है कि डॉक्टरों का लिखा प्रिस्क्रिप्शन साफ शब्दों में पढ़े जाने लायक लिखा जाना चाहिए। दवाओं की जानकारी मरीज और फार्मासिस्ट को साफ समझ आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बिलासपुर में जो घटना हुई है। उसे देखते हुए सही निर्णय लिया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रिस्क्रिप्शन साफ और सही लिखा जाए ये जरूरी है, लेकिन कैपिटल लेटर में लिखने की बाध्यता नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ये गाइडलाइन सरकारी अस्पतालों में व्यावहारिक नहीं है। यहां की ओपीडी में मरीजों की भीड़ होती है और कैपिटल लेटर में प्रिस्क्रिप्शन लिखने से काफी समय लगता है। इसलिए जरूरी है कि दवाइयों की जानकारी साफ शब्दों में हो।

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