हाईकोर्ट में एक अजीब मामला आया: मीडिया में नटवर लाल कहने या लिखने पर रोक लगाने की गुहार
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में एक रोचक मामला सामने आया है। रायगढ़ के एक व्यवसायी ने याचिका दायर कर ठगी या जालसाजी के मामले के आरोपित को नटवर लाल जैसे नाम से पुकारे जाने या फिर लिखे जाने पर रोक लगाने की मांग की है। याचिकाकर्ता ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा है कि वह व्यवसायी है। बिजनेस और समाज में उसकी अच्छी खासी इज्जत है। इस तरह के नाम मीडिया में सामने आने पर उसे व्यक्तिगत पीड़ा होती है। उसका अच्छा नाम ठगों या जालसाजों की बदनियती के कारण बदनाम हो रहा है।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में यह भी कहा है कि उनके जैसे और भी हमनाम होंगे। उनको भी इस तरह की घटना के बाद इलेक्ट्रानिक व प्रिंट मीडिया में जोर शोर से प्रकाशित व प्रसारित होने पर पीड़ा होती होगी। यह भी सही है कि मेरे सहित हमनाम अपनी पीड़ा किसे बताएं और कहां व्यक्त करें। याचिकाकर्ता व्यवसायी ने याचिका में अपनी पीड़ा को पूरी तरह व्यक्त कर दिया है। याचिका के अनुसार ठगों और जालसाजों के कारण अच्छा खासा नाम बदनाम हो रहा है। मौजूदा दौर में नटवर लाल कहते ही किसी ठग या धोखाधड़ी करने वाले की छवि लोगों के सामने आ जाती है। यह स्वाभाविक भी है। इस नाम को मीडिया ने इतना प्रसारित और प्रचारित कर दिया है कि यह नाम लेते ही लोग ठगी या जालसाजी का ही अनुमान लगाने लगते हैं। इसी अनुरुप छवि भी बनाने लगते हैं। याचिकाकर्ता ने धारा 19 (2) और धारा 21 तहत में तहत याचिका दायर कर इस तरह की घटनाओं में नटवर लाल जैसे नाम का उपयोग करने पर पाबंदी लगाने की मांग की है।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में बताया है कि जालसाजी,ठगी और धोखाधड़ी के लिए कुख्यात मिथलेस श्रीवास्तव को 420 के मामले में जब पकड़ा गया था तब उसे ही नटवर लाल के नाम से संबोधित किया गया था। किसी के नाम का किसी भी संदर्भ में उपयोग करना मौलिक अधिकारों के हनन का मामला बनता है।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि नटवर भगवान श्रीकृष्ण का नाम है। उन्हें नटवर नागर के नाम से भी जाना जाता है। जालसाजी और चारसौबीसी में नटवर लाल जैसे नाम का प्रयोग करना भगवान श्रीकृष्ण का अपमान है। भक्तों को पीड़ा होती है। याचिकाकर्ता ने तो यहां तक कहा है कि यह उनकी व्यक्तिगत पीड़ा का विषय है। इस पर गंभीरता के साथ विचार करने की गुहार लगाई है।