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सुकमा में विकास की नई लहर नक्सलवाद से शांति और समृद्धि की ओर प्रशासन की प्रभावशाली पहल

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सुकमा में विकास की नई लहर नक्सलवाद से शांति और समृद्धि की ओर प्रशासन की प्रभावशाली पहल

सुकमा।लंबे समय तक नक्सल हिंसा के कारण पिछड़ेपन और असुरक्षा से जूझते रहे सुकमा जिले में अब बदलाव की तस्वीर साफ़ दिखाई दे रही है। केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं, मजबूत सुरक्षा तंत्र और स्थानीय लोगों की सक्रिय भागीदारी से सुकमा विकास और शांति की राह पर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। पत्र सूचना कार्यालय, रायपुर द्वारा आयोजित “नक्सल मुक्त भारतरू समृद्धि और एकता की राह” विषयक वार्तालाप कार्यक्रम में प्रशासन ने जिले में हो रहे सकारात्मक बदलावों की प्रभावशाली जानकारी साझा की।
कलेक्टर  देवेश कुमार ध्रुव ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना और मुख्यमंत्री आवास योजना से बेघर परिवारों को पक्के मकान मिल रहे हैं। मनरेगा और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत लाखों श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। महिलाओं को स्वरोजगार से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में विशेष पहल की जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत गाँव-गाँव में शौचालय निर्माण और स्वच्छता अभियान से जीवन स्तर में सुधार हो रहा है। पुनर्वास केंद्रों के माध्यम से आत्मसमर्पित नक्सलियों को सम्मानपूर्वक मुख्यधारा से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी  मुकुन्द ठाकुर ने बताया कि शासकीय योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुँच रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत हजारों परिवारों को आवास उपलब्ध कराए गए हैं, विशेष श्रेणी में आत्मसमर्पित नक्सलियों और नक्सल पीड़ित परिवारों को भी शामिल किया गया है। मनरेगा के तहत अब तक 4.11 लाख मानव दिवस सृजित कर श्रमिकों को रोजगार दिया गया है। वहीं 2,747 स्व-सहायता समूह बनाकर 28,829 परिवारों को जोड़ते हुए महिलाओं को सिलाई, डेयरी और शहद उत्पादन जैसे स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं।
पुलिस अधीक्षक  किरण चव्हाण ने कहा कि सुरक्षा बलों की सक्रियता से गाँवों में कैंप स्थापित किए जा रहे हैं, जिससे सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार जैसी सुविधाएँ सीधे लोगों तक पहुँच रही हैं। उन्होंने भरोसा जताया कि 2026 तक नक्सलवाद का पूरी तरह अंत कर सुकमा सहित समूचे बस्तर को शांति और समृद्धि का केंद्र बनाया जाएगा।

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