,,छत्तीसगढ़ ।कोरबा जिले के वनांचल क्षेत्र के तौलीपाली गांव में तीन दिवसीय संगीत मय श्रीराम कथा का आयोजन किया जा रहा है। छत्तीसगढ के प्रसिध्द कथावाचक कामता प्रसाद शरण महराज छत्तीसगढी भाषा कथा एवम प्रवचन कर रहे हैं,उनके प्रवचन को सुनने रायगढ़ ,सक्ती, खरसिया से लोग पहुंच हैं।,,,कथावाचक कामता प्रसाद शरण ने दूसरे दिन की कथा में शिव पार्वती विवाह का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान शिवजी माता सती को त्याग कर तपस्या मे लगातार हजार वर्षों तक तपस्या में लीन रहे।ताड़का सुर ने तीनों लोकों में आतंक मचा दिया था देवताओं और उनके कल्याण के लिए कामदेव ने शिव को अपने पुष्प बाण से मार डाला। जैसे ही शिवजी ने अपनी आंखें खोली तो कामदेव भस्म हो गए, तब देवताओं की प्रार्थना पर देवाधिदेव महादेव महाराज हिमाचल की पुत्री पार्वती से विवाह करने के लिए तैयार हुए। जब शिव की बारात हिमालय जाने के लिए निकली।बारात हिमालयपुरी में प्रवेश कर चुकी थी। श्मशाननिवासी ढेर-के-ढेर भूत-पिशाच नगर की वीथिकाओं में घूम रहे थे। भय के मारे नगर के सारे घरों के द्वार बन्द हो गए। छोटे-छोटे बालक घबराहट के कारण अपने घर का रास्ता ही भूल गए और घर-घर जाकर कहने लगे – प्रेत, बेताल और भयंकर भूत बराती हैं तथा वर बैल पर सवार है।भगवान शिव स्वयं जितने अद्भुत थे उनके अनुचर भी उतने ही निराले थे। भगवान शंकरजी के विकट वेष को देखकर महारानी मैनारानी मूर्छित होकर गिर पड़ी।देवर्षि नारद ने महारानी मैना को भगवान शिव के सुंदर रूपो का वर्णन कर उनका मन शांत किया।तब जाकर अपनी बेटी का विवाह तैयार हुई। और भगवान शिव-पार्वती का विवाह धूमधाम से हुआ।,,छत्तीसगढ़ी भक्ति गीतों पर झूमने लगे कथा के दौरान भगवान के विवाह गीत पर ज़ब कामता प्रसाद जी महाराज ने छत्तीसगढ़ी में गया तो श्रद्धांलू झूमने लगे। शिव विवाह कथा में हर कोई भक्ति भाव में डूबे नजर आए।
कामता प्रसाद महराज ने भगवान शिव- पार्वती विवाह का किया वर्णन,छत्तीसगढ़ी भक्ति गीतों झूमे लोग
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